वो गुज़रना तुम्हारी गलियों से
था इत्तेफ़ाक, जानकर तो न था
इतना बदनाम किया है तुमने
मैं भी इंसान था पत्थर तो न था
ये शाखें आँधियों ने तोडी है
गुनाहगार एक शजर तो न था
मैं लुटा हूँ मुझे ऐसा एहसास
तेरे मिलने से पेश्तर तो न था
गुनाहगार एक शजर तो न था
मैं लुटा हूँ मुझे ऐसा एहसास
तेरे मिलने से पेश्तर तो न था
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