Chithhi
Sunday, 4 March 2012
नफ़रत की बयार
चाहतों का दौर तो गुम हो गया
अब यहाँ बहती है नफ़रत की बयार
उनसे उम्मीद क्या करें जिनको
नहीं मालूम क्या होता है प्यार
पहले रहते थे जहाँ कुछ आशना
उन घरों में बन गयीं ऊंची दीवार
जी चुके हिस्से की अपनी ज़िंदगी
कौन अब देगा हमें साँसें उधार
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