मुख्तलिफ़ है ऐ रहबर तेरा अंदाज़े क़त्ल
मौत तो मौत है वो जिस तरह भी आ जाए
जिसको देखो वो ही खंजर लिए है हाथों में
दवा दो ज़ख्म न दो किससे अब कहा जाए
कौन है वाली ओ वारिस यहाँ मजलूमों का
तुम्ही बताओ किससे वास्ता रखा जाए
जो भी आया नया हाक़िम उसी ने मारा है
कितने दिन और अब ये सितम सहा जाए
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