तुम्हे जो चाहिए कह दो निकाल कर देंगे दिल से
मांग लो हमसे तुम कुछ भी बस एक अपने सिवा
बड़ी मुश्किल से कम हुई है मोहब्बत की तपिश
क़मसकम तुम तो न दो फिर बुझी आतिश को हवा
बद दुआ देके किसी और को मिलती होगी राहत
हम फ़क़ीरों की ज़बां से तो निकलती है दुआ
कुछ तो हमको भी बता दे कि कहाँ है तेरा दर
पूछा करती है हर एक सुबहा सबा तेरा पता
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