कुछ लोग सोचते थे उनसे जहान है
ना जाने कहाँ खो गए मालूम नहीं
जिनके भी हक़ में आया है ये रैन बसेराक्यूँ सब दीवाने हो गए मालूम नहीं
बादल तो आये थे बिना बरसे चले गए
पलकों को कब भिगो गए मालूम नहीं
भूखी ज़मीन रात भर जगती है किस लिए
जब आसमान सो गए मालूम नहीं
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