जानते हैं लोग मुझको सब तुम्हारे नाम से
और ज़्यादा खुद को मैं अब किस तरह रुसवा करूँ
ये तुम्हारी बेरुख़ी है और है मेरी बेबसी
तुम उधर देखा करो और मैं तुम्हे देखा करूँ
प्यार दोनों ने किया है फिर नतीजे क्यूँ अलग
तुम सरे महफ़िल हंसो और तनहा मैं रोया करूँ
मेरा तुमको चाहना शायद ग़लत था फैसला
मैं किसे चाहूँ ये क्या वाइज़ से मैं पूछा करूँ ?
और ज़्यादा खुद को मैं अब किस तरह रुसवा करूँ
ये तुम्हारी बेरुख़ी है और है मेरी बेबसी
तुम उधर देखा करो और मैं तुम्हे देखा करूँ
प्यार दोनों ने किया है फिर नतीजे क्यूँ अलग
तुम सरे महफ़िल हंसो और तनहा मैं रोया करूँ
मेरा तुमको चाहना शायद ग़लत था फैसला
मैं किसे चाहूँ ये क्या वाइज़ से मैं पूछा करूँ ?
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