समय की आग में हर चीज़ यहाँ जलती है
ख़ाक उड़ती है हवाओं का खिलौना बन कर
ये जागीरें उधार उसकी हैं कुछ दिन के लिए
ज़रा सी देर में रह जायेंगी सपना बन कर
बना के रख ज़मीन पर अपने पैरों की पकड़
रुख़ ये मौसम का बदल जाए न तूफाँ बनकर
मत समझ खुद को फ़रिश्ता कि तू भी आदम है
कभी तो लग जा गले हमसे भी इंसां बन कर
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