एक बार कभी मुझको अपने रब से मिला दे
वो कौन हैं कहाँ है मुझे उसका पता दे
जब दोनों में से कोई उसे जानता नहीं
हम किस पे झगड़ते हैं मुझे इतना बता दे
है हक़ सभी को जीने का ये मेरा सोच है
इस बात की तू चाहे मुझे जितनी सज़ा दे
मैंने तो सारी उम्र की है तुझसे रफ़ाक़त
ये तेरा है ईमान मोहब्बत कर या दग़ा दे
ये होश ही तो है सभी दर्दों का समंदर
फिर होश न आये मुझे तू ऐसी पिला दे
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