Monday, 28 November 2011

वक़्त मुझसे जीत गया

उम्र भर कल कभी नहीं आया
कोई उसे लाओ

लमहे बीते या मैं ही बीत गया
मुझे समझाओ

मैं जिया वक़्त मुझसे जीत गया
क्यूँ हुआ बतलाओ

दर्द सीने में बन गया पत्थर
इसे पिघलाओ

और क्या होना है मुक़द्दर में
तुम  देखते जाओ

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