जब तक खुली हैं आँख तभी तक है ज़माना
गर मैं नहीं तो कुछ भी मेरे बाद नहीं है
बीता हुआ सफ़र है एक ख्व़ाब की तरह
जो भी है याद ठीक से कुछ याद नहीं है
ख़ारों की क़तारों में हैं पोशीदा कुछ गुलाब
गर्दिश में है गुलशन अभी बर्बाद नहीं है
सदियों से यहाँ लोग तो आयें हैं मुसलसल
फिर भी न जाने क्यूँ ये घर आबाद नहीं है
अपनी हद में ही तैर प्यार के समंदर में
कितना गहरा है कहाँ तुझको ये अंदाज़ नहीं है
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