बेरहम वक़्त तिलस्मी शीशा
कितने जादू हमें दिखाता है
जितना झुक झुक के झाँकता हूँ मैं
मेरा चेहरा ही बदल जाता है
वो देखो दूर एक नन्हा बच्चा
उसके कंधे पे लटकता बस्ता
बंद है जिसमें उसकी माँ का प्यार
एक पराठा और थोड़ा सा अचार
ऐसा लगता है इसे मैं जानता हूँ
कुछ तो इसको भी मैं पहचानता हूँ
ये लो शीशे ने फिर दिया धोखा
ये कोई और नहीं मैं ही था
थोड़ा सा और जब चलूँगा मैं
इसका दस्तूर बदल जाएगा
ये आईना तो रहेगा अपनी जगह
मेरा चेहरा न नज़र आएगा
कितने जादू हमें दिखाता है
जितना झुक झुक के झाँकता हूँ मैं
मेरा चेहरा ही बदल जाता है
वो देखो दूर एक नन्हा बच्चा
उसके कंधे पे लटकता बस्ता
बंद है जिसमें उसकी माँ का प्यार
एक पराठा और थोड़ा सा अचार
ऐसा लगता है इसे मैं जानता हूँ
कुछ तो इसको भी मैं पहचानता हूँ
ये लो शीशे ने फिर दिया धोखा
ये कोई और नहीं मैं ही था
थोड़ा सा और जब चलूँगा मैं
इसका दस्तूर बदल जाएगा
ये आईना तो रहेगा अपनी जगह
मेरा चेहरा न नज़र आएगा
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