बहुत पहले ही हो चुका था दफ़न
ये क्या कम है कि फिर भी ज़िंदा हूँ
बग़ैर पंख के परवाज़ की तमन्ना है
कितना माज़ूर हूँ बेबस हूँ एक परिंदा हूँ
न पिला मुझको शिकस्तों की शराब
अपनी नाकामियों से पहले ही शर्मिंदा हूँ
बिला वजह न काट देना मुझे ऐ दोस्त
तेरे बदन की मैं ताकत हूँ मैं रगे जां हूँ
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