Saturday, 10 September 2011

शामे तनहाई

क्यूँ घबराता है दिल मुश्किल है कितनी शामे तनहाई
वही ये जानता है जिसका घर वीरान होता है

तेरे आँगन में भर जायेंगी कल खुशियाँ ज़माने की
फ़क़त ये बोल भर देना बहुत आसान होता है
सभी रोते हैं दुनियाँ में मुझे ये दो मुझे वो दो
जो मांगे दर्द ग़ैरों का वही इंसान होता है

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