यादों की झील में आये हैं शराबी झोंके
रक्स करने लगा है अक्स तेरा पानी में
कुछ नए रंग उभर आते हैं मेरे चेहरे पे
ज़िक्र आता है तेरा जब मेरी कहानी में
मुड के पीछे मैं जो देखूं तो ख़्वाब लगते हैं
जितने रंगीन मनाज़िर थे उस जवानी में
तेरी मखमूर निगाहों के हम हैं मश्कूर
नशा माज़ी का है हलका सा जिंदगानी में
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