अँधेरी शब , चराग़ों में भी थोड़ी रोशनी है कम
कहाँ है वक़्त अब इतना कि तुम रूठो मनाएं हम
ये हम सब चाहते हैं हो हमारे सर पे एक साया
जहां बुनियाद टूटी हो इमारत क्या बनाएं हम
वही जो लोग कहते थे कि मेरा घर बचायेंगे
उन्ही सब ने तो लूटा है किसे अब आज़माएँ हम
यही मेरा भी क़िस्सा है वही तेरी कहानी है
हजारों बार उसको कह के क्यूँ आंसू बहायें हम
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