जब मैं यहाँ नहीं था तब भी तो थी दुनियां
कल मैं नहीं रहूँगा कोई और तो होगा
मरने से ही बदलेगी खामोश ये फ़िज़ा
मैय्यत पे लोग रोयेंगे कुछ शोर तो होगा
क्या मेरा आना जाना महज़ इत्तेफ़ाक़ था
मेरा मेरे नसीब पे कुछ ज़ोर तो होगा
मुझको नहीं है अपनी तिश्ना लबी का ग़म
कल वो तेरी महफ़िल में सराबोर तो होगा
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