रह रह के भीगती हैं क्यूँ बेसबब ये आँखें
लगता है तीर तेरा कुछ काम कर रहा है
रुसवाइयों के डर से रोता है कौन खुलकर
तेरी बेरुखी का मुझपे मुकम्मल असर रहा है
चर्चा ए आम है जो दीवानों की बस्ती मेँ
उस बात को कहने से ये दिल क्यूँ डर रहा है
रहना है अगर ज़िंदा दरवाजे बंद कर लो
बस थोड़े फासले से तूफां गुज़र रहा है
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