मैं पशेमां हूँ तेरी बेवफाई पे ए दोस्त
तुने लूटा है मुझे मेरा आशनां बनके
मुझे जाना है अकेला ही चला जाऊँगा
तू मेरा साथ न दे एक बद दुआ बन के
बंधे हैं पाँव और कांटे बिछे हैं राहों में
दिए हैं ज़ख्म मुहब्बत ने हमको गिन गिन के
डूबती शाम है और घर में एक चराग़ नहीं
रात गुज़रेगी कड़ी सिर्फ एक सज़ा बन के
मैं ज़माने की निगाहों से कैसा दिखता हूँ
कोई बताए मुझे मेरा आइना बनके
No comments:
Post a Comment