है अगर टूटा तेरा दिल तो अब रोता क्यूँ है
किसी बेदर्द से दिल तूने लगाया होगा
तपते होठों से नहीं जलते कभी पैमाने
जिगर की आग ने मयख़ाना जलाया होगा
कोई आवारा हवा ख़ाक उड़ा दी होगी
इन मज़ारों पे कोई भी न आया होगा
जो नहीं मिलता है काबे में न बुतखाने में
दिल के आईने में हर वक़्त नज़र आया होगा
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