अब यारी कर चुके हैं तारीकीयों से हम
ग़र आये रोशनी तो ख़ुद अपनी गर्ज़ पर
पानी तो आँखों का कब का गया है सूख
और लहू बह रहा है पानी की तर्ज़ पर
तक़लीफे बदन हो तो कोई हो सके इलाज
है चारागर हैरान इस हवस के मर्ज़ पर
अब किस से कहे जाके कोई ज़ुल्म के क़िस्से
उनको तो शिकायत है शिकायत की दर्ज पर
No comments:
Post a Comment