यूँ ही रात सारी निकल गई , कोई ख्वाब भी न गले मिला
लो शमा की उम्र भी ढल गई , मुझे जुगनुओं की तलाश है
घनी छाँव वो तेरी ज़ुल्फ़ की, किस गली के मोड़ पे छुट गई
मेरे पास आ मेरी ज़िन्दगी , मेरा जी बहुत उदास है
मुझे दे गए बड़ी राहतें ,मिले राह में कई अजनबी
वहीँ गर्दिशों ने सिखा दिया , वो ही दूर है जो भी पास है
ये ही कहते हैं सभी राहजन , बड़ी दूर अब वो चला गया
हैं अजीब दिल की हसरतें ,उसे अब भी मिलने की आस है
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