Sunday, 10 July 2011

छूटा तेरा आँचल


मैं जितना भी चाहूँ , तुझे अब छू नहीं सकता
मुझको न  दे आवाज  ,   मेरे गुज़रे हुए कल


करता  ही रह गया मैं  ,हवाओं से फ़रियाद
जब एक बार हाथ से,  छूटा तेरा आँचल

दरिया  से कह रहा हूँ,  मेरे  शहर में रुक
बांहों  में भर के कहता है , चल मेरे साथ चल

क्या रोक सकीं हैं, उसे राहों की उलझनें
तूफ़ान निकल जाता है ,रस्ते बदल बदल

कब  कौन सी बयार,मिटा जाए तेरा  नाम
जीना है अगर जी ले  , है उम्र  चार पल

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