हासिल तुम्ही से की हैं उसने ऊँची सीढ़ियाँ
वो जीत गया है चुनावी इम्तिहान में
अब ग़र्क हो ज़मीन भी तो क्या है उसको फ़र्क़
वो घर बना चुका है अलग आसमान में
पहचान वाले ले गए सब ऐश के सामान
तेरे लिए कुछ ग़म ही बचे हैं दुकान में
दीवाने ख़ास में चलेगा दावतों का दौर
भूखों को लगाया है उसके इंतज़ाम में
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