दिल में दरिया के छुपा है कौन सा राज़
जान पाते हैं इसे सिर्फ डूबने वाले
बुलाते रहना कभी लौट कर न आऊंगा
मुझे भी आते हैं अंदाज़ रूठने वाले
कोई गुंचा भी जो टूटे तो खनक होती है
बड़े चुपचाप टूटते हैं टूटने वाले
न कोई अपनी खबर और न पता मंज़िल का
क्या बताऊँ मैं तुझे ,मुझसे पूछने वाले
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