खुदा करे ये वक़्त बस यहीं ठहर जाए
इस मुलाक़ात का कोई भी निशाँ न बचे
इससे पहले कि ये इलज़ाम मेरे सर आये
तेरी दीवारों से टकराया हूँ जाने कितनी बार
क्या ये मुमकिन है कभी तू भी मेरे घर आये
ये हौसला ये तसल्ली ये दुआओं का असर
क्या करेगा जो सरे शाम कोई मर जाए
नशा यादों का बना रहने दे रात बाक़ी है
मुझे डर है नीम शब ये भी न उतर जाए
नशा यादों का बना रहने दे रात बाक़ी है
मुझे डर है नीम शब ये भी न उतर जाए
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