Wednesday, 26 September 2012

ये मेरा शहर नहीं

हो जाएँ बंद जब भी साँसों के सिलसिले
बाद उसके मेरे नाम की कोई सहर नहीं

क्यूँ पूछते हो बारहा मेरे शहर का नाम
मैं जिस में रह रहा हूँ ये मेरा शहर नहीं

धू धू सा जल उठेगा एक तेरी बेरुखी से
तिनकों का आशियाँ है पत्थर का घर नहीं

गर तोड़ने थे तुझको फिर क्यूँ बनाए रिश्ते  

 इन्हें फिर से जोड़ने को बाक़ी उमर नहीं 

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