हो जाएँ बंद जब भी साँसों के सिलसिले
बाद उसके मेरे नाम की कोई सहर नहीं
क्यूँ पूछते हो बारहा मेरे शहर का नाम
मैं जिस में रह रहा हूँ ये मेरा शहर नहीं
धू धू सा जल उठेगा एक तेरी बेरुखी से
तिनकों का आशियाँ है पत्थर का घर नहीं
गर तोड़ने थे तुझको फिर क्यूँ बनाए रिश्ते
इन्हें फिर से जोड़ने को बाक़ी उमर नहीं
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