साहिल की ठुकराई एक लहर की तरह चलो बुरा ही सही प्यार का अंजाम हूँ मैं
कुछ तो हासिल हुआ है मुझको तेरी शोहरत से अहले दुनिया में तेरे नाम से बदनाम हूँ मैं
लोग कहते हैं मुझसे तुमसे भी कहते होंगे उनके कहने के लिए बाइसे इलज़ाम हूँ मैं
इन्ही वीरानों में कभी मय के दौर चलते थे उन्ही मयखानों का टूटा हुआ एक जाम हूँ मैं मुझे ठोकर न लगा मैं भी तेरी नस्ल से हूँ उगती एक सहर है तू डूबती एक शाम हूँ मैं
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