एक दिन उड़ेंगे पत्ते ये शाख होगी खाली
तेरा इस क़दर भरोसा आयी बहार पर
सच जानता हूँ फिर भी ये मेरी बेबसी है
मुझे एतबार क्यूँ है तेरे एतबार पर
शायद उस ज़लज़ले में ज़िंदा बचा हो कोई
हैं लोग अभी ज़िंदा इसी इंतज़ार पर
फूलों की महक जैसे एक ख्वाब बन गयी है
साँसों का हक़ बचा है गर्द ओ ग़ुबार पर
तेरा इस क़दर भरोसा आयी बहार पर
सच जानता हूँ फिर भी ये मेरी बेबसी है
मुझे एतबार क्यूँ है तेरे एतबार पर
शायद उस ज़लज़ले में ज़िंदा बचा हो कोई
हैं लोग अभी ज़िंदा इसी इंतज़ार पर
फूलों की महक जैसे एक ख्वाब बन गयी है
साँसों का हक़ बचा है गर्द ओ ग़ुबार पर
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