पैरों में बेडी बाँध के कहते हैं नाचिये
कैसे अजीब हो गए हैं आज हुक्मरान
झपकाओगे पलकें तो बदल जायेंगे तेवर
ख़ंजर छुपाये बैठे हैं ये सारे क़द्रदान
जाकर नए बाज़ारों में नफ़रत खरीदिये
अब बंद हो चुकी हैं मोहब्बत की सब दुकान
बस बोरिया बिस्तर ही उठाने की देर है
पहले ही बिक चुका है घर का सभी सामान
कैसे अजीब हो गए हैं आज हुक्मरान
झपकाओगे पलकें तो बदल जायेंगे तेवर
ख़ंजर छुपाये बैठे हैं ये सारे क़द्रदान
जाकर नए बाज़ारों में नफ़रत खरीदिये
अब बंद हो चुकी हैं मोहब्बत की सब दुकान
बस बोरिया बिस्तर ही उठाने की देर है
पहले ही बिक चुका है घर का सभी सामान
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