मरता है केवल आदमी ,मरता नहीं रावण कभी
पत्थर के दिल जलते नहीं ,जलता है एक बेबस का जी
इतने बरसों से जलाते आ रहे हैं जिसको हम
जिस्म बस जलता है उसका रूह ज़िंदा है अभी
भूख से बदहाल रामू किस क़दर माज़ूर है
राम घर आ जायेंगे रामू को दे दो ज़िंदगी
भुखमरी को जीत लो तुम जीत होगी राम की
सच की चादर ओढ़ लो मर पायगा रावण तभी
भूख से बदहाल रामू किस क़दर माज़ूर है
राम घर आ जायेंगे रामू को दे दो ज़िंदगी
भुखमरी को जीत लो तुम जीत होगी राम की
सच की चादर ओढ़ लो मर पायगा रावण तभी
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