Thursday, 27 October 2011

आने का बहाना

है तुमको ग़र पसंद तमाशा ऐ आतिशी
लो हमने अपने दिल में ख़ुद ही आग लगा ली

कोई तो बने आपके आने का बहाना
हम रोज़ मनाया करेंगे जश्ने दिवाली
पीने को रह गया है बस एक आँख का पानी
कैसे हो मै मयस्सर जब जेब हो ख़ाली

हमको न चैन आएगा न ख्व़ाब आयेंगे 
तुमने हमारी उम्र भर की नींद चुरा ली

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