रंगीनियाँ होती हैं बस ख़्वाबों की महफ़िल में
है ज़िंदगी हक़ीक़त एक उलझा रास्ता है
होती नहीं है जिसको दो गज़ ज़मीन हासिल
वो आसमां में अपना एक घर तलाशता है
रखते हैं हमको जिंदा पलकों में सजे सपने
परियों के फ़सानों का बचपन से वास्ता है
थक कर के सो गए हैं सब साथ के मुसाफ़िर
एक तेरी जुस्तजू में क्यूँ दिल ये जागता है
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