फिर भी मैं तुझसे प्यार करता हूँ
ये मोहब्बत ग़रीब की दौलत
सिर्फ तुझ पे निसार करता हूँ
बड़ी सजा है इस गुनाह की लेकिन
फिर भी मैं बार बार करता हूँ
बिछड़ा था तुझसे जिस दोराहे पर
वहीं खड़ा हूँ तेरा इंतज़ार करता हूँ
प्यार मजबूरी है कोई हक़ तो नहीं
टूटा दिल तार तार करता हूँ
प्यार मजबूरी है कोई हक़ तो नहीं
टूटा दिल तार तार करता हूँ
No comments:
Post a Comment