सुबह आयी है ख़बर ज़िंदा हूँ
कल था चर्चा, नहीं रहा हूँ मैं
एक ग़ज़ल लिखी है तेरे नाम
उसी की धुन बना रहा हूँ मैं
दिया सच का हवा से न बुझे
हथेलियों को जला रहा हूँ मैं
होठ हँसते हैं जिगर घायल है
रस्मे दुनियाँ निभा रहा हूँ मैं
कल था चर्चा, नहीं रहा हूँ मैं
एक ग़ज़ल लिखी है तेरे नाम
उसी की धुन बना रहा हूँ मैं
दिया सच का हवा से न बुझे
हथेलियों को जला रहा हूँ मैं
होठ हँसते हैं जिगर घायल है
रस्मे दुनियाँ निभा रहा हूँ मैं
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