Chithhi
Monday, 2 April 2012
सुबह की हवा
जो कहोगे वो दिल से निकाल कर देंगे
मांग लो कुछ भी बस एक अपने सिवा
दिन जो देता है उसे रात मांग लेती है
खाली दामन से खेलती है सुबह की हवा
यूँ हिक़ारत से न देखो तुम मेरा उघड़ा बदन
गर्दिशे वक़्त ने छीनी है मुझसे मेरी क़बा
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