मुमकिन नहीं कि खुद को देख पाऊँ मैं
अब तुम ही बता सकते हो मैं कैसा हूँ
नहीं बची है उमर बदलूं और सुधर जाऊं
मुझे स्वीकार करो जो भी हूँ और जैसा हूँ
बड़ी उसूलों की क़ीमत चुकाई है दिल ने
न तुम ग़लती से समझ लेना ऐसा वैसा हूँ
बांटने निकला हूँ कुछ मोम जैसे एहसास
कौन लेगा , न तो दौलत हूँ और न पैसा हूँ
अब तुम ही बता सकते हो मैं कैसा हूँ
नहीं बची है उमर बदलूं और सुधर जाऊं
मुझे स्वीकार करो जो भी हूँ और जैसा हूँ
बड़ी उसूलों की क़ीमत चुकाई है दिल ने
न तुम ग़लती से समझ लेना ऐसा वैसा हूँ
बांटने निकला हूँ कुछ मोम जैसे एहसास
कौन लेगा , न तो दौलत हूँ और न पैसा हूँ
No comments:
Post a Comment