न ज़मीर है न ख़ुलूस है , न है आईना न है रोशनी
ये बतायेगा हमें कौन अब ,है कैसी सूरते ज़िंदगी
जो मिला उसे भुला दिया, जो नहीं मिला उसे ढूँढती
एक हसरतों का हुजूम है , तेरी ज़िंदगी मेरी ज़िंदगी
हम बच गए हैं अंधेरों से , हमें मार डालेगी रोशनीये बतायेगा हमें कौन अब ,है कैसी सूरते ज़िंदगी
जो मिला उसे भुला दिया, जो नहीं मिला उसे ढूँढती
एक हसरतों का हुजूम है , तेरी ज़िंदगी मेरी ज़िंदगी
अपना क़फ़न खरीद कर, खुद को जलाएगा आदमीं
जो कहता था बड़े नाज़ से तेरे ग़म में मैं भी शरीक़ हूँ
मुझे कब से उसकी तलाश है कहाँ खो गया है वो आदमी
No comments:
Post a Comment