जो सुलगता है तेरे ज़ेहन में
खिड़कियाँ खोल उसे जलने दे
दूंगा तोहमतों का जवाब
अभी बेचैन हूँ संभलने दे
ये वीरानियाँ बहुत सताएंगी
कोई तो दर्द दिल में पलने दे
रुके जो पाँव तो मर जाऊँगा
अभी हिम्मत है मुझे चलने दे
है चरागाँ मेरे सनम की गली
घर से बाहर मुझे निकलने दे
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