खामखाँ इनसे बहस मत कीजिये
हार जाओगे बहुत गहरें हैँ लोग
सुन नहीं सकते प्रलय की चींख क़ो
सो गए हैँ या यहाँ बहरे हैँ लोग
मर गया है क्या कोई फिर राहज़न
चलते चलते क्यों यहां ठहरे हैँ लोग
हो चुका सब कुछ नया मत सोचिए
एक खड़ी दीवार हैं , पहरे हैँ लोग़
हार जाओगे बहुत गहरें हैँ लोग
सुन नहीं सकते प्रलय की चींख क़ो
सो गए हैँ या यहाँ बहरे हैँ लोग
मर गया है क्या कोई फिर राहज़न
चलते चलते क्यों यहां ठहरे हैँ लोग
हो चुका सब कुछ नया मत सोचिए
एक खड़ी दीवार हैं , पहरे हैँ लोग़
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