जिनकी तालीम उठाती है इंसानी क़द
ऐसे इंसान ज़माने को गिरे लगते हैं
जिनके साये ने रोकी है सूरज की तपिश
धूप ढल जाय तो वे लोग बुरे लगते हैं
कभी एक तरफ से नहीं जुड़ते रिश्ते
जोड़ बनने में दोनों ही सिरे लगते हैं
इतने गहरे हैं कुछ ज़ख्म तेरी यादों के
बरस बीत गए फिर भी हरे लगते हैं
ऐसे इंसान ज़माने को गिरे लगते हैं
जिनके साये ने रोकी है सूरज की तपिश
धूप ढल जाय तो वे लोग बुरे लगते हैं
कभी एक तरफ से नहीं जुड़ते रिश्ते
जोड़ बनने में दोनों ही सिरे लगते हैं
इतने गहरे हैं कुछ ज़ख्म तेरी यादों के
बरस बीत गए फिर भी हरे लगते हैं
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