Sunday, 16 February 2014

मैं उतना भी बुरा नहीं हूँ

मैं एक शजर हूँ तेरे चमन का
और ये भी सच है हरा नहीं हूँ

थका हूँ लड़ लड़ कर आँधियों से
खड़ा हूँ अब भी गिरा नहीं हूँ

समझ रहें हैं ज़माने वाले
मैं उतना भी बुरा नहीं हूँ

न कोसना तुम मेरी बेखुदी  को
आँख लगी है मरा नहीं हूँ

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