Sunday, 20 October 2013

पाखी रे पंख दे

पाखी रे पंख दे ..........थोड़ी उमंग दे
कहता है मेरा मन , जाना है तेरे गाँव

थोडा सा प्यार दे ....... ऐसा संसार दे
चलूँ मैं जितना भी थकें नहीं मेरे पाँव

धूप में सह लूँगा ......सूरज से लड़ लूँगा
मिल जाए गर तेरी फ़ैली पलकों की छाँव

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