वही मकतूल वही खंजर वही हैं हादिसे
गर जो बदला है तो सैय्याद ही बदला है
ग़ज़ब की भीड़ और एक भी क़तार नहीं
छिडी है जंग यहाँ कौन किससे पहला है
कैसे धुल जाते हैं दामन पे लगे खून के दाग
क़त्ल करते है रोज़ पर लिबास उजला है
भूख तुमको लगी है कहते हैं कुर्सी वाले
तुम्ही निबटाओ इसे ये तुम्हारा मसला है
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