जुड़ गया है इसका रिश्ता क़त्ले आम से
नफ़रत सी हो चली है मज़हब के नाम से
खून बहाने की तुम्हे किसने दी इजाज़त
पूछेंगे हम अल्लाह से पूछेंगे राम से
ना जाने कहाँ खो गयीं , गीता औ कुरान
अहले जहां को इश्क हुआ इंतक़ाम से
चुपचाप लौट जाऊँगा मयखाने से प्यासा
बस एक घूँट दे दे मोहब्बत के जाम से
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