पत्ते सूखे ही सही फिर भी एक गवाह तो हैं
इस बयाबां में भी एक दिन बहार आयी थी
भले ही लाख कहो प्यार नहीं था मुझसे
मिली जो नज़रें तेरी आँख क्यूँ शरमाई थी
अलग मिला था सिला प्यार का हम दोनों को
वो दास्ताँ तेरी शोहरत मेरी रुसवाई थी
गुलों की शोखियों ने तुझको भुलाने न दिया
झूमती शाख को देखा तू याद आयी थी
इस बयाबां में भी एक दिन बहार आयी थी
भले ही लाख कहो प्यार नहीं था मुझसे
मिली जो नज़रें तेरी आँख क्यूँ शरमाई थी
अलग मिला था सिला प्यार का हम दोनों को
वो दास्ताँ तेरी शोहरत मेरी रुसवाई थी
गुलों की शोखियों ने तुझको भुलाने न दिया
झूमती शाख को देखा तू याद आयी थी
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