मुश्किल है दौर इतना और उम्र थक गयी
अब किससे जा के पूछें मंज़िल किधर गयी
बाज़ार में पूछा था "इंसानियत मिलेगी ?"
सब हंस के कह रहे थे "वो कब की मर गयी "
ना जाने क्यूँ हम उसकी नज़र से उतर गये
तस्वीर जिसकी नज़रों से दिल में उतर गयी
दीवानेपन की इंतिहा थी तुझसे मोहब्बत
एक तू ही तू दिखता था जहाँ तक नज़र गयी
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