Tuesday, 29 April 2014

तो ईश्वर न होता

किसी दर पे तेरा झुका सर न होता
अगर डर न होता तो ईश्वर न होता

अगर मंज़िलें अपने हाथो में होतीं
तो दुनिया में कोई मुसाफिर न होता

तुझे ज़ुल्म सहने की आदत न होती
तो ज़ालिम कभी तेरा रहबर न होता

अगर आसमानों से कुछ रिश्ते बनाता
तो गिरने को बिजली तेरा घर न होता

Wednesday, 2 April 2014

लोग जला देते हैं

बदनसीब है  बदन चरागों की तरह
बुझने लगता है  तो लोग जला देते हैं


कौन जलते  ज़ख्मों पे रक्खे मरहम
जो हैं पहचान वाले बढ़ के  हवा देते हैं