चराग़ो शब की जंग के आखिर
दोनों मरते हैं सहर होती है
बेखबर रहता है बेदर्द मेरी आहों से
ज़माने भर को गो इसकी खबर होती है
हम ग़रीबों के पास है ही क्या
दौलते इश्क़ है सब तेरी नज़र होती है
न होता ग़म जो मुहब्बत की चुभन
उधर भी होती ग़र जितनी इधर होती है
दोनों मरते हैं सहर होती है
बेखबर रहता है बेदर्द मेरी आहों से
ज़माने भर को गो इसकी खबर होती है
हम ग़रीबों के पास है ही क्या
दौलते इश्क़ है सब तेरी नज़र होती है
न होता ग़म जो मुहब्बत की चुभन
उधर भी होती ग़र जितनी इधर होती है